ये जनता कब तक divide and rule का भागीदार बनती रहेगी. सभी पार्टिओं के नेता कब तक उनसे जाती के नाम पर vote मांगते रहेंगे और अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे. बेचारी जनता हमेशा की तरह अपना शोषण करवाती रहेगी. आख़िर कब तक ये फरेबी नेता जनता को जाती के नाम पर, धर्म के नाम पर, कर्ज माफी के नाम पर, सरकारी नौकरी देने के नाम पर, बिजली बिल माफी के नाम पर ना जाने कितने ही लालच भरे झूठे वादे करते रहेंगे. और फिर एक बार वोट लेने के बाद और जीतने के बाद जनता से किए हुए वादे भूल जाएंगे.
अधिकतर पार्टिओं के नेता आजकल यही गिनवा रहे हैं कि उनकी विरोधी पार्टिओं ने क्या क्या नहीं किया ... लेकिन ये क्यों नहीं बताया जा रहा खुद उन्होंने क्या नहीं किया. इन्हें बस यही पड़ी है दूसरी पार्टी को कैसे हराया जाए. ये ऐसा क्यों नहीं सोचते कि खुद कैसे जीता जाए. इन्हें न देश से कोई लेना देना है, न विकास से कोई लेना देना है, इन्हें बस खुद से मतलब है. इस काम के लिए इनको बस यही मिलता है लोगों को बांटो और राज करो.
वैसे इनकी भी क्या गलती है. इनका तो जन्म ही ऐसे माहौल में हुआ है. कई दशकों से पूर्वजों की इसी परंपरा का सरोकार करते आए हैं. हमारी अधिकतर राजनैतिक व्यवस्थाएं अंग्रजों का ही अनुसरण करती आई है. जिस प्रकार उन्होंने हमें Divide and Rule की राजनीति का पथ प्रदर्शित किया था.. वैसे ही हमारे राजनेता भी बड़े सयानेपन से इसी कुमार्ग पर चल रहे हैं और जनता का शोषण करते आए हैं.
हम लोगों को ही एक ऐसा निर्भीक कदम उठाना होगा. जाती, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र विशेष से ऊपर उठ कर एक होना होगा और टूटते हुए समाज को एकता में बांधना होगा . और यह तभी संभव है जब हम, ठीक प्रकार से, भली-भांति सोच समझ कर अपने vote के अधिकार का प्रयोग करेंगे. इसीलिए उसे ही अपना कीमती वोट दें जो देश का , समाज का , मानवता के कल्याण का निस्वार्थ भाव से कार्य करने का दम-खम रखता हो. ना कि तुम्हें लालच देकर, दबाव बना कर, डराकर, धमकाकर, बहला-फुसलाकर तुमसे तुम्हारा वोट मांगे. Say no to divide and rule.
अधिकतर पार्टिओं के नेता आजकल यही गिनवा रहे हैं कि उनकी विरोधी पार्टिओं ने क्या क्या नहीं किया ... लेकिन ये क्यों नहीं बताया जा रहा खुद उन्होंने क्या नहीं किया. इन्हें बस यही पड़ी है दूसरी पार्टी को कैसे हराया जाए. ये ऐसा क्यों नहीं सोचते कि खुद कैसे जीता जाए. इन्हें न देश से कोई लेना देना है, न विकास से कोई लेना देना है, इन्हें बस खुद से मतलब है. इस काम के लिए इनको बस यही मिलता है लोगों को बांटो और राज करो.
वैसे इनकी भी क्या गलती है. इनका तो जन्म ही ऐसे माहौल में हुआ है. कई दशकों से पूर्वजों की इसी परंपरा का सरोकार करते आए हैं. हमारी अधिकतर राजनैतिक व्यवस्थाएं अंग्रजों का ही अनुसरण करती आई है. जिस प्रकार उन्होंने हमें Divide and Rule की राजनीति का पथ प्रदर्शित किया था.. वैसे ही हमारे राजनेता भी बड़े सयानेपन से इसी कुमार्ग पर चल रहे हैं और जनता का शोषण करते आए हैं.
हम लोगों को ही एक ऐसा निर्भीक कदम उठाना होगा. जाती, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र विशेष से ऊपर उठ कर एक होना होगा और टूटते हुए समाज को एकता में बांधना होगा . और यह तभी संभव है जब हम, ठीक प्रकार से, भली-भांति सोच समझ कर अपने vote के अधिकार का प्रयोग करेंगे. इसीलिए उसे ही अपना कीमती वोट दें जो देश का , समाज का , मानवता के कल्याण का निस्वार्थ भाव से कार्य करने का दम-खम रखता हो. ना कि तुम्हें लालच देकर, दबाव बना कर, डराकर, धमकाकर, बहला-फुसलाकर तुमसे तुम्हारा वोट मांगे. Say no to divide and rule.