मैं शायर तो नहीं मगर मुझको शायरी आ गई...
मैं कवि तो नहीं मगर कविता रचित हो गई..
मैं कहानीकार भी नहीं मगर कहानी आ गई ...
मैं गायक भी नहीं मगर दिल को गाने की धुन भा गई..
मैं नृत्यक भी नहीं मगर पांव थिरकते चले गए...
मैं लेखक भी नहीं मगर लेखनी ने मुझे अपना बना लिया..
मैं चित्रकार भी नहीं मगर रंगों के प्रेम ने इसे भी अपना लिया..
मैं छायाचित्रकार भी नहीं मगर प्रकृति की खूबसूरती ने ऐसा बना दिया..
मैं घूमक्कड भी नहीं था मगर क्या करें ये अल्हड़ दिल किसीकी सुनता नहीं ..
मैं शायर तो नहीं मगर शायरी आ गई... और ये मीठी जुबां कुछ-कुछ कहती चली गई....
मैं कवि तो नहीं मगर कविता रचित हो गई..
मैं कहानीकार भी नहीं मगर कहानी आ गई ...
मैं गायक भी नहीं मगर दिल को गाने की धुन भा गई..
मैं नृत्यक भी नहीं मगर पांव थिरकते चले गए...
मैं लेखक भी नहीं मगर लेखनी ने मुझे अपना बना लिया..
मैं चित्रकार भी नहीं मगर रंगों के प्रेम ने इसे भी अपना लिया..
मैं छायाचित्रकार भी नहीं मगर प्रकृति की खूबसूरती ने ऐसा बना दिया..
मैं घूमक्कड भी नहीं था मगर क्या करें ये अल्हड़ दिल किसीकी सुनता नहीं ..
मैं शायर तो नहीं मगर शायरी आ गई... और ये मीठी जुबां कुछ-कुछ कहती चली गई....
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