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Tuesday, 23 September 2014

short story- Jaduai Chhadi

जादुई छड़ी 

एक बार  की  बात  है  बंगाल  के  कोलकाता में एक छोटा सा परिवार रहता था। जिसमें  2 छोटी - छोटी बच्चियां थीं व उनके माता पिता।  बड़ी का नाम निम्मी था और छोटी का नाम जानिया  । जो बड़े वाली थी उसके शौक बड़े ही निराले थे, उसको घूमना बहुत पसंद था । अभी स्कूल की छुट्टियाँ हुए कुछ ही दिन हुए थे की निम्मी घर पर बोर होने लगी ;तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आया , क्यों न कहीं घुमंकर आया जाए । 

तभी उसे पापा दिखे , उसे लगा पापा जल्दी मन जाएंगे , इसलिए इन्ही से बात की जाए । निम्मी बोलती है पापा मैं घर पर उक्ता गई हूँ क्यों न कहीं घूम कर आया जाए ।  पापा  ने पूछा कहां  जाना चाहोगी ? वो बोली  सुंदरबन के जंगल चलें । पापा मान गए । अगले ही दिन जाने का प्लान बन गया । सुबह करीब 6  बजे घर के  बाहर सब तैनात खड़े थे । निम्मी व जानिया तो ख़ुशी व उल्लास से भरे हुए थे , सबने रास्ते के लिए सामान  भी जुटा लिआ था । साथ ही वहां जंगल में मदद के लिए एक लट्ठी भी रख ली थी । सभी गाड़ी में बैठे, सफर पर चल दिए । जैसे ही थोड़ी दूर पहुंचे जानिया को भूख लग गई । निम्मी को जैसे ही रास्ते में मैक्डोनाल्ड दिखा दोनों वहां जाने की  जिद करने लगे | फिर वहां सभी ने पेट पूजा की और गाड़ी में आकर बैठ गए।  

तभी थोड़ी देर बाद निम्मी ने जैसे ही लट्ठी को देखा उसे अजीब सा लगा । उसने मम्मी  से कहा ," माँ  देखिये तो इस लकड़ी का रंग बदल गया है । ये  वो नहीं है  ।" माँ बोली "ये वही है ,  तुझे वैसे ही लग रहा है । " निम्मी बोली ,"नहीं ऐसा  लग रहा है  किसी  ने इस पर चमकीली छिड़क दी हो " । माँ बोलीं," तुझे वहम हो रहा है । कुछ ही समय बाद सुंदरबन आ गया । सभी जंगल देखने को उत्सुक  थे। उन्होंने  एक गाइड लिया और जंगल की और बढे । सभी हरे -भरे जंगल को देख कर उल्लासित थे । किसी-किसी पेड़ के पत्ते तो मनुष्य की लम्बाई के आकर के थे ।  

तभी अचानक एक घटना घटी । जानिया उनके साथ नहीं  थी । वे  हैरान -परेशान उसे ढूंढने लगे और इतने बड़े जंगल में ढूढे भी तो कहां ढूंढें ।  निम्मी थोड़ा पीछे रह गई और थककर  और एक पत्थर पर बैठ गई और लकड़ी से उसे साफ करने लगी । जैसे ही उसने लकड़ी  को  पत्थर से छुआ  वह गोल-गोल घूमने लगी और निम्मी को लगा जैसे की वह उड़ रही है, साथ ही जो लकड़ी उसके हाथ में थी वो  जादुई छड़ी की  भांति दिखने लगी ।  फिर उसने  उड़ते-उड़ते  जानिया को ढून्ढ लिआ और उड़ते-उड़ते अपने मम्मी-पापा के पास ले गई । फिर वे सब  जंगल घूम कर घर लौट आए । अगले दिन  जानिया ने पूरी  कहानी दोस्तों को सुनाई कैसे निम्मी ने  उसको बचाया। अब जब भी कोई मुश्किल में होता तो  जानिया अपनी जादुई छड़ी से  उसकी मदद करती ।      

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